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बुलेटिया कलेक्टर

"बुलेटिया कलेक्टर"

"पूरे गांव में तुम्हारा, कोई ध्यान नहीं रखता है, एक में ही हूं, जिसको तुम्हारी फिक्र है, अब जैसी फ़िक्र मैं, आपकी करता हूं, वैसी ही फिक्र, आप मेरी भी कर लो, क्योंकि "हुआ छोकरा जवां रै"!"इसका गलत मतलब, मत निकाल लेना, मैं, शादी-वादी की बात नहीं कर रहा हूं, जब से आपकी शरण में आया हूं, ई छोरियां-वोरिया का चक्कर छोड़ दिया है, अब मन लगाकर, दंड-बैठक और पढ़ाई लिखाई पर ध्यान दे रहा हूं, यूपीएससी एग्जाम में पास हो गया, मेन एग्जाम में भी पास हो गया, इंटरव्यू भी एकदम चकाचक दिया था, बस आजकल में कलेक्टर बनने का लेटर आने वाला है, इसलिए कोई नेतागिरी लगा रहा है तो कोई रिश्वत खिला रहा है, सब अपनी-अपनी सेटिंग जमा रहे हैं, तुम भी मेरी, पूरी सेटिंग जमा दो, क्योंकि अपना रिश्ता तो बचपन से है, जय बजरंगबली, तोड़ दो रिश्वतखोरों की नली, और धर्मेंद्र को बना दो कलेक्टर खली, हाँ,,,"! धर्मेंद्र ने हनुमान जी को तेल सिंदूर लगाते हुए कहा

तभी धर्मेंद्र को उसके पापा ने पुकारा -"धर्मेंद्र"! "इधर आ"! "हाँ",,,पापा बोलो"! धर्मेंद्र मंदिर के बाहर आकर पूछा

"एक बात को कितनी बार बोलूं, तुझे सुबह बोला था ना, मजदूर लेकर आना, सोयाबीन कटवानी है, जितनी फ़िक्र से पढ़ाई लिखाई करता है, उतनी ही फिक्र से, खेती बाड़ी भी कर ले, तेरी जिंदगी बन जाएगी"! पिता ने डांटते हुए कहा "तुम फिकर से खेती-बाड़ी करते-करते, इतने बड़े हो गए, तुम्हारी जिंदगी बन गई, अभी भी फिक्र कर रहे हो"! धर्मेंद्र ने ताना मारते हुए कहा "हां, तो तू पढ़ लिखकर कौन सा कलेक्टर बन गया है और ज्यादा जिबान मेत चला, नहीं तो मुंह में फेविकोल डाल दूंगा, मजदूर कम आए हैं, खेत पर, जाकर सोयाबीन कटा"!पिता ने कहा "संविदा शिक्षक की भर्ती हो रही है, मुझे उसका फॉर्म भरने सिटी जाना है, खेत पर तुम चले जाओ"! धर्मेंद्र ने कहा "कोई मजदूर नहीं आए हैं, मैं तो मजाक कर रहा था, कैसा लगा मेरा मजाक"? पिता ने कहा "मुझे भी कोई फॉर्म भरने नहीं जाना है, कमर दर्द कर रही है, घर जाकर आराम करूंगा, "पापा"! "मैं भी मजाक कर रहा था"! "पर मैंने तो मजाक किया ही नहीं, तेरा झूठ पकड़ने के लिए चाल चली थी"! पिता ने कहा "पर मैंने तो कोई झूठ बोला ही नहीं, तुमसे सच उगलने के लिए झूठ बोला था और मुझे अच्छे से पता है, तुम कहां जा रहे हो"? "कहां जा रहा हूं"? पिता आश्चर्य से पूछा

"कमल काका,के खेत पर गांजा पीने, उन्होंने सुबह, मुझसे गांजा मंगाया था और बोला था, तेरे, पापा और मैं दोनों पियेंगे, 100 दिन का चोर, एक दिन पकड़ा ही जाता है और तुम्हें तो आखी जिंदगी हो गई है, चोरी करते-करते"! धर्मेंद्र ने कहा

"यह नया-नया इल्जाम, मुझ पर मत लगा, मैं 26 नंबर बीड़ी के अलावा और कुछ नहीं पीता हूं, और तू यह बता दिन भर तो पड़ा-पड़ा पढ़ाई करता है तो फिर तेरी कमर क्यों दुख रही है, रीड की हड्डी खसक गई क्या"? पिता ने कहा "पढ़ाई का लोड, दिमाग पर कम और कमर पर ज्यादा रहता है, इसीलिए कमर दर्द कर रही है"!

"नौटंकी बाज, तेरे रग रग से वाकिफ हूं मैं, तुझ में मेरा ही तो खून है, तु कब क्या सोचता है, कब क्या करता है, मुझे सब पता है, अब बात बंद कर और सीधा घर जा, में आता हूं गांजो डाल के, मेरा मतलब, खेत में ट्रैक्टर को पंजो फसी गयो है, उसको निकाल के"! पिता ने कहा

"गेहूं में से धंधुरे तो निकलते नहीं है तुमसे, और पंजा निकालना चले हो"! धर्मेंद्र ने कहा

"एक दूंगा तो अकल ठिकाना आ जाएगी, घर जा, चुपचाप"! चिल्लाते हुए कहा

धर्मेंद्र चीडता हुआ, वहां से चला जाता है और रास्ते में उसे गांव की लड़की कविता दिखाई देती है, जो पेड़ के ऊपर फंसा,अपना दुपट्टा निकाल रही है धर्मेंद्र ने उसे देखकर गाना शुरू किया "मैं कहीं कवि ना बन जाऊं, तेरे प्यार में ए कविता"! "मैं कहीं कवि ना बन जाऊं, तेरे प्यार में ए कविता"! धर्मेंद्र ने गाना गुनगुनाया

"अरे,,,धर्मेंद्र भाई, ओ,,धर्मेंद्र भाई, सुनो"! कविता ने कहा

धर्मेंद्र उसकी बात सुनकर भी अनसुनी कर देता है

"अरे,,,,बहरे हो गए हो क्या"?"धर्मेंद्र"! लड़की ने चिल्ला कर कहा

"कोई बहरा नहीं हुआ हूं, सब सुन रहा था मैं, और यह बता, तू, मेरे, मम्मी-पापा की सगी छोरी है क्या"? जो मुझे भाई कहती है, मेरे जैसे स्मार्ट, हैंडसम लड़के को भाई बोलते, तुझे शर्म नहीं आती"!

"अरे,,भाई ही तो कहा है, भैंस-गाय थोड़ी कहां, जो इतना होशियार बन रहा है"! कविता ने कहा

"अरे,,,में कोई गुंडा, मंवाली, भाई हूं, जो तू, मुझे, भाई कहती है, कलेक्टर की पढ़ाई कर रहा हूं, गुंडे, मवाली, भाई का सफाया करने के लिए और तू, मुझे भाई कहती है"! धर्मेंद्र ने कहा

"ज्यादा भाषण मत दे, जब कलेक्टर बन जाएगा, तब सोचूंगी, तुझे भाई कहूं या नहीं, वह ऊपर मेरा दुपट्टा उलझ गया है, उसे निकाल दे"! कविता ने कहा

"चल घोड़ी बन जा, फिर निकालता हूं"! धर्मेंद्र ने कहा

"क्या"? कविता ने आश्चर्य से पूछा

"अरे,,,,मेरा मतलब, दुपट्टा ऊंचाई पर लटका है, तो तुम,घोड़ी बन जाओ, तुम्हारे ऊपर खड़ा होकर, दुपट्टा निकालुंगा"! धर्मेंद्र ने समझाया

"नहीं, तुम घोड़ा बनो, तुम्हारे ऊपर खड़ी होकर, मैं दुपट्टा निकालूंगी"!कविता ने कहा

"बनने की क्या जरूरत है, मैं, तो घोड़ा, ही हूं, मैं, तुम्हें ऊंचा उठा देता हूं, तुम दुपट्टे को खींच लेना"! धर्मेंद्र ने कहा "ठीक है, पर बहन समझकर उठाना"! कविता ने संकोच से कहा "तेरे,असली भाई को बुला ले, वही बहन समझ कर, उठा सकता है तुझे, मैं तो गर्लफ्रेंड समझ कर उठाऊंगा, दुपट्टा निकलाना हो तो बताओ, नहीं तो जय श्री राम जी की, हाँ..."!धर्मेंद्र ने जाते हुए कहा

"अरे रुको,,चलो उठाओ"!

उलाला,,,उलाला,, , उलाला,, उलाला,,, तू है मेरी फैंटेसी, "छुआ जो तूने तो, दिल ने मारी सिटी"! "देदे इन गालों पर एक, पप्पी मीठी-मीठी"! उलाला,,,उलाला,,, उलाला,,,उलाला,,,

"दुपट्टा निकल गया है, अब मुझे नीचे उतारो"! कविता ने कहा

पर धर्मेंद्र उसके स्पर्श में ऐसा खोया कि उसे उतारना तक भूल गया, जब कविता बोल-बोलकर थक जाती है और धर्मेंद्र उसे नीचे नहीं उतारता तो वह, उसके बाल पड़कर खींच देती है और वह दोनों नीचे गिर जाते हैं फिर कविता उठकर देखती है, उसके कपड़े सिंदूर में खराब हो गए हैं, वह दोबारा धर्मेंद्र के बाल नोचते हुए कहती है -"अबे,,,कुत्ते, जब तेरे हाथ सिंदूर से भरे थे तो तूने, मुझे क्यों उठाया"? "मेरे नए कपड़े खराब कर दिए"!

"सिंदूर तेरे कपड़ों पर लगा है, तेरी मांग में थोड़ी लगाया है, मैंने, तेरी मदद की ओर तुने, मेरे बाल की खाल निकाल दी, एहसान फरामोश "!

"मैं जा रही हूं, अगर कपड़ों से सिंदूर नहीं निकला तो ₹2000 लूंगी, तुमसे, नहीं तो पंचायत बिठाऊंगी, तुम्हारा नाम पर"!

"₹200 रुपट्टी का सूट नहीं है और 2000 की बात कर रही है"! फिर धर्मेंद्र उठता है और वहां से आगे आता है "सरपंच साहब,,राम-राम"! धर्मेंद्र ने कहा

"बेटा बहुत हवा में उड़ रहा है तू, गांव के लौंडो को मेरे खिलाफ भड़काता है और मैंने सुना है, तु कलेक्टर नहीं बन पाया तो सरपंच का चुनाव लड़ेगा"! सरपंच ने धर्मेंद्र से कहा

"हां,,,बिल्कुल सही सुना है, क्योंकि गांव के लोग, तुमसे नाराज है, क्योंकि तुमने रोड तो बनाया पर एक साइड का, खंभे लगाए पर लाइट नहीं, बर्मा लगवाए पर उसमें पानी नहीं आता, तुम्हारी हार तो पक्की है, "सरपंच साहब"! "अगर तुम्हारे सामने कुत्ते को भी चुनाव लड़ा दिया तो वह भी जीत जाएगा"!

"यह तो वक्त बताएगा, कौन हारेगा और कौन जीतेगा पर तू, मेरे हाथ से जरूर पिटेगा"! सरपंच ने धमकी देते हुए कहा

"ढोली हो क्या"? "सरपंच साहब"" पर मैं ढोलक नहीं हूं, कटार हूं, अगर गलत तरीके से टच भी किया तो हाथ कट जाएगा"! धर्मेंद्र ने जाते कहा

"साला,,,कलेक्टर की पढ़ाई कर रहा है पर अकड़ कलेक्टर जैसी है"! सरपंच ने मन में कहा

फिर वह बाजार में आता है वहां, गांव का गुंडा, लल्लू भाई, अपने चार गुंडो के साथ, हफ्ता वसूली कर रहा है, सभी उसकी टोपी में पैसे डाल रहे हैं, वह धर्मेंद्र के सामने टोपी फेलाता है, धर्मेंद्र उसके पैसे निकाल लेता है -"अबे,,साले, तू, मेरी टोपी, मुझे ही पहना रहा है, चवन्नी की फुलझड़ी, कौन है तू"? लल्लू ने पूछा

"इस शहर का होने वाला, कलेक्टर"! "धर्मेंद्र बिलोटिया"! धर्मेंद्र ने जोश से कहा

"सलाम साहब"! लल्लू के साथियों ने कहा

"अरे,,,तुम क्यो डर रहे हो, होने वाला कलेक्टर है, अभी कलेक्टर, हुआ थोड़ी है "!लल्लू ने कहा

"लल्लू मैं, तुम्हें 24 घंटे की मोहलत देता हूं, यह सभी गैर कानूनी काम बंद कर दो, नहीं तो कुत्ते का बेल्ट पहनाकर, पूरे गांव में नंगा, जुलूस निकालूंगा, तुम्हारा"!

"चटाक"! लल्लू ने धर्मेंद्र को तमाचा मारा

"तूने, मुझपे पर हाथ उठाया"! धर्मेंद्र ने गुस्से से कहा

"तुम्हीं ने तो 24 घंटे की मोहलत दी थी, अब बात से पलटो मत, कलेक्टर साहब, उसने एक ओर तमाचा देते हुए कहा "अता माझी, खिसकली"!धर्मेंद्र बहुत गुस्से से लल्लू की ओर देखा, उसके डरावने गुस्से से लल्लू का गला, सूख जाता है और वह भयभीत हो जाता है, फिर धर्मेंद्र अपनी गर्दन टेढ़ी कर बजाता है, फिर हाथ की उंगलियां बजाकर हाथ मसलता है और हाथ को पवन चक्की की तरह घूमाता है, उसका यह एक्शन सीन देखकर, सभी गुंडे डर जाते हैं, तभी धर्मेंद्र उसके हाथ से टोपी छुड़ाता है और दौड़ लगा देता है, यह देख, वहां खड़े, गुंडे और लोग, हैरान रह जाते हैं

"अरे,, पकड़ो उसको, अपनी मेहनत की कमाई लेकर भाग रहा है"! धर्मेंद्र आगे आगे भागता है और वह गुंडे उसके पीछे-पीछे भागते हैं  वह भागते-भागते एक साइकिल सवार, पोस्टमैन से टकरा जाता है और वह दोनों गिर जाते हैं -"अरे,,धर्मेंद्र बाबू, में आपके पास ही आ रहा था, यह लो, तुम्हारा लेटर आया है"! पोस्टमैन ने लेटर देते हुए कहा

धर्मेंद्र ने वह लेटर खड़े होकर पड़ा और शेर जैसी, दहाड़ लगाई -"या,,,,आ,,,आ"!

"अरे क्या है  इस लेटर में"? लल्लू ने पूछा

"तुम्हारी मौत का पैगाम"! धर्मेंद्र ने लालू को जोरदार तमाचा मारते हुए कहा

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2 Comments

hema mohril

26-Sep-2023 01:53 PM

Amazing

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Gunjan Kamal

25-Sep-2023 10:28 AM

शानदार

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